मायूस हो गये हे, हम जिंदगी के सफर से,
मक्सद मुलाकात, मतलब की दोस्तियां, दिखावे के रिश्ते......
फिर "लगेगी नजर उस" पगली को,
देखो आज वो फिर से "काजल" लगाना भूल गई.
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अगर समझ लेती हमारी खामोशी को कभी,
तो आज हमे इन अल्फाजो की ज़रूरत ना होती.
