"नानक नन्हे बने रहो,
जैसे नन्ही दूब ।
"बड़े-बड़े बही जात हैं,
दूब खूब की खूब ।।
भावार्थः श्री गुरुनानक देव जी
कहते हैं कि "झुक कर चलने
वालो का कोई कुछ नहीं बिगड़ पाता जैसे सैलाब आने पर दुब (घास) लेट जाती है और सैलाब ऊपर से निकल जाता है। जिससे दुब तो और बढ़ जाती है लेकिन न झुकने वाले बड़े-बड़े पेड़ सैलाब में बह जाते है!!
तू झुक के चल बंदया,
झुकयां नूं प्रभु मिलदा !!
