कुंडलियो का मिलन कर के पंडितजी बोले,
"बधाई हो, कुंडली तो ऐसे मिली है,
जैसे श्रीराम ओर सीताजी की मिली थी!"
इतना सुनते ही लड़की बोली,
"माँ, मैं इस लड़के से शादी नहीं करूंगी!
मैंने तो यूरोप घूमने के सपने देखे हैं,
वन-वन भटकने के नहीं!"
