ADMIN 05:30:00 AM 01 Jan, 1970

चुराकर दिल मेरा वो बेखबर से बैठे हैं;
मिलाते नहीं नज़र हमसे अब शर्मा कर बैठे हैं;

देख कर हमको छुपा लेते हैं मुँह आँचल में अपना;
अब घबरा रहे हैं कि वो क्या कर बैठे हैं।

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