छठ पूजा हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया (देवी षष्ठी) की आराधना का प्रतीक है।
यहां छठ पूजा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:
1. कब मनाया जाता है?
यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है - एक बार चैत्र (चैती छठ) में और दूसरी बार कार्तिक (कार्तिकी छठ), जो ज़्यादा प्रसिद्ध है।
कार्तिकी छठ, दिवाली के छह दिन बाद, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।
यह व्रत चार दिनों तक चलता है।
2. पूजा का महत्व:
यह व्रत संतान के सुख-समृद्धि, दीर्घायु और परिवार के कल्याण के लिए रखा जाता है।
यह प्रकृति, जल और सूर्य की उपासना का महापर्व है, जो शुद्धता, आस्था और तपस्या का प्रतीक है।
3. चार दिनों का अनुष्ठान:
छठ पूजा का व्रत बहुत कठिन और नियम-संयम वाला माना जाता है। चार दिनों के मुख्य चरण इस प्रकार हैं:
पहला दिन: नहाय-खाय (चतुर्थी) - व्रती (व्रत रखने वाले) नदी या तालाब में स्नान करते हैं और सात्विक भोजन (जैसे कद्दू-भात या चने की दाल और अरवा चावल) ग्रहण करते हैं।
दूसरा दिन: खरना (पंचमी) - इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला (बिना पानी) उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ और दूध से बनी खीर (रसिया) और रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह प्रसाद खाने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।
तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य (षष्ठी) - यह मुख्य दिन होता है। व्रती और परिजन नदी या तालाब के किनारे एकत्रित होकर डूबते हुए सूर्य (अस्ताचलगामी सूर्य) को अर्घ्य देते हैं और पूजा करते हैं।
चौथा दिन: उषा अर्घ्य (सप्तमी) और पारण - चौथे दिन, उगते हुए सूर्य (उषाकाल के सूर्य) को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद प्रसाद खाकर व्रत का समापन किया जाता है, जिसे पारण कहते हैं।
4. छठी मैया कौन हैं?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मैया को सूर्य देव की बहन माना जाता है। इन्हें ब्रह्मा जी की मानस पुत्री और सृष्टि की रचना करने वाली देवी प्रकृति का छठा अंश भी माना गया है।
यह नवजात बच्चों की रक्षा करने वाली और उन्हें दीर्घायु प्रदान करने वाली देवी हैं।
5. पौराणिक कथाएं:
छठ पूजा का संबंध रामायण काल से माना जाता है, जब माता सीता ने सूर्य देव की उपासना की थी।
महाभारत काल में द्रौपदी द्वारा यह व्रत रखने की भी कथा है, जिससे पांडवों को उनका राजपाट वापस मिला था।
एक अन्य कथा सूर्यपुत्र कर्ण से भी जुड़ी है, जो नित्य सूर्य की पूजा करते थे।
6. मुख्य प्रसाद:
ठेकुआ (गुड़ और आटे से बना) छठ पूजा का सबसे प्रमुख प्रसाद है।
इसके अलावा, चावल के लड्डू (कसार), गुड़ की खीर, और विभिन्न मौसमी फल जैसे डाभ नींबू, गन्ना, केला, नारियल आदि चढ़ाए जाते हैं।
