आज सुबह मेरे पड़ोस में रहने वाले बंगाली बाबू मेरे घर आये
और बोले, "आज हमारे घर भोजन है। आप भी आइएगा।"
मैंने भी माँ से कह दिया कि मेरा खाना मत बनाना।
11 बजे मैं पहुँच गया बंगाली बाबू के घर पर।
वहाँ 4-5 बंगाली ढोलक बाजा लिए वहाँ मौजूद थे,
दोपहर 2 बजे तक साले न जाने क्या क्या गाते रहे।
फिर बंगाली बाबू खडे होकर बोले, "
आज का भोजन समाप्त हुए,
कोल फिर भोजन है टाईम से आ जाना।
आपका बहुत बहुत धोन्यबाद।"
साले के भजन के चक्कर मुझे भोजन नहीं मिला।
