फूल की पत्तियां बनकर मेरे चारो तरफ बिखर गई,
उसकी यादों की खुश्बू से ये हवाऐं भी निखर गई,
ना रास्ता मुझे कोई दिखाई दे ना मैं ही देखना चाहूँ,
तन्हा कर के यूं मुझे मेरी मंजिलें जाने किधर गई
फूल की पत्तियां बनकर मेरे चारो तरफ बिखर गई,
उसकी यादों की खुश्बू से ये हवाऐं भी निखर गई,
ना रास्ता मुझे कोई दिखाई दे ना मैं ही देखना चाहूँ,
तन्हा कर के यूं मुझे मेरी मंजिलें जाने किधर गई