Home
Forum
Login
arman
12:00:00 AM 05 May, 2017
इब्तिदा में हर मुसीबत पर लरज जाता था दिल
अब कोई गम इम्तिहाने-इश्क के काबिल नहीं
Back
Forum
Related to this Post:
#20519 arman
12:00:00 AM 05 May, 2017
खिरदमंदों से क्या पुछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है
कि मैं इस फिक्र में रहता हूँ मेरी इन्तिहा क्या है,
खुदी को कर बुलन्द इतना कि हर तकदीर से पहले
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है?