गजल
हर रिशते को एक नाम दे।
मेरे हाथो मे एक जाम दे।
जिसने मुझे बनाया है रिन्द
उसके लफ्जो पर मेरा नाम दे।
मेरे दिल में भले अजाव हो
उसे खुदा मसर्रत तमाम दे।
भले खल्वत में बहे अश्क मेरा
कृष्ण वह अश्के भी उसे काम दे।
दिन भर मुझे मिले गर्दिश-ए-दौरां
पर रवि उसे एक सुन्दर शाम दे।
हर रिशते को एक नाम दे।
मेरे हाथो मे एक जाम दे।
रिन्द=शराबी
अजाव=पिड़ा
मसर्रत=खुशी
खल्वत=तनहाई
गर्दिश-ए-दौरां=रोज-रोज का गम
कवि:कृष्ण मंडल
