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Afsar
12:00:00 AM 06 May, 2017
मै पत्थर हूं कि मेरे सर प ये इल्ज़ाम आता है
कहीं भी आइना टूटे मेरा ही नाम आता है
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#563 ADMIN
10:04:15 AM 11 Oct, 2016
क्या खूब लिखा है किसी ने...🖊
आगे सफर था और पीछे हमसफर था...🖊
रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जाता...🖊
मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी...🖊
ए दिल तू ही बता,उस वक्त मैं कहाँ जाता...🖊
मुद्दत का सफर भी था और बरसो
का हमसफर भी था
रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते...🖊
यूँ समँझ लो,
प्यास लगी थी गजब की
मगर पानी मे जहर था...🖊
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते...🖊
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए...🖊
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए...🖊
वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता...🖊
सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता🖊
सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब...🖊
आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर...🖊
"हुनर" सड़कों पर तमाशा करता है और "किस्मत" महलों में राज करती है...🖊
"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता"...🖊
अजीब सौदागर है ये वक़्त भी
जवानी का लालच दे के बचपन ले गया...🖊
अब अमीरी का लालच दे के जवानी ले जाएगा...🖊
लौट आता हूँ वापस घर की तरफ... हर रोज़ थका-हारा,
आज तक समझ नहीं आया की जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ...🖊
बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल -
"बङे हो कर क्या बनना है ?"
जवाब अब मिला है, - "फिर से बच्चा बनना है...🖊
“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे...🖊
दोस्तों से बिछड़ कर यह हकीकत खुली...🖊
बेशक, कमीने थे पर रौनक उन्ही से थी...🖊
भरी जेब ने ' दुनिया ' की पहेचान करवाई और खाली जेब ने ' अपनो ' की...🖊
जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,
शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,
अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है...🖊
हंसने की इच्छा ना हो,
तो भी हसना पड़ता है...🖊
.
कोई जब पूछे कैसे हो..?
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है...🖊
.
ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों,
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है...🖊
"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती,
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...🖊
दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट, ये ढूँढ रहे हैं की
मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं...🖊
पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा
कि जीवन में मंगल है या नहीं...🖊
मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ,
कि...
पत्थरों को मनाने में ,
फूलों का क़त्ल कर आए हम...🖊
गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने,
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम...🖊
Good Morning
#725 ADMIN
04:48:54 PM 11 Dec, 2016
हंसी रोक कर दिखाओ ...
*एक बहुत ही सुंदर महिला थी*.
अपने बेटे को पास के मदरसे मे उर्दू सीखने के लिए भर्ती करवा आयी ...
उर्दू पढ़ाने वाला मौलाना उस महिला की सुंदरता के बारे में जानता था.
छुट्टी के समय मौलाना ने उसके बेटे से कहा : अपनी अम्मी को मेरा सलाम कहना....
बेटे ने आकर माँ को कह दिया कि मौलाना साहब ने आपको सलाम भेजा है ।
महिला ने भी बेटे के हाथों सलाम का उत्तर सलाम भेज कर दे दिया।
ये सिलसिला हफ्ते भर चला ...
महिला ने " पति " से परामर्श किया और अगले दिन बेटे से मौलाना को कहलवाया कि
"शाम को घर पर बुलाया है" ...
*मौलान खुश*...
3 दिन से नहाया नहीं था,
बासी शेरवानी को इस्तरी करवाया,
इत्र मारा और
पहुँच गया सुंदरी के घर..
महिला ने पहले आवभगत की,
चाय नाश्ता करवाया,
फिर, बेटे की पढ़ाई के बारे मे जानकारी ली।
मौलाना औपचारिक बातें करने के बाद, अपनी असलियत पे आया , कहा : माशा अल्लाह , आपको खुदा ने बड़ी फुर्सत में तराशा है -
लेडी : "वो तो है, शुक्रिया"
मौलाना : मुझे आपसे इश्क़ हो गया है मोहतरमा ...
लेडी : हाँ वो तो है, पर ये बात यदि मेरे पति ने सुन ली तो बहुत मुश्किल होगी,
वो आते ही होंगे ...
आप अभी जाइए, कल शाम को फिर आईयेगा तब बात करेंगे... मैं आपका इंतज़ार करूंगी ...
मौलाना चलने को हुआ ही था कि
बाहर से उस महिला के पति की आवाज़ आई : कौन घर में घुसा है, हरामखोर ?
मौलाना घबराया ... कहाँ छुप जाऊँ ?
महिला ने उसे फटाफट साड़ी पहना दी ,घूँघट कर दिया
और
गेहूँ पीसने वाली पत्थर की चक्की के पास बैठा दिया
और कहा : आप धीरे-धीरे गेहूँ पीसिए ...
मैं अभी उनको चाय वगैरह पिला कर बाहर भेजती हूँ,
आप मौका देखकर भाग जाना ।
मौलाना लगे चक्की चलाने और गेहूँ पीसने ...
पति ने प्रवेश किया और पूछा कि ये कौन महिला है ?
लेडी : पड़ोस मे नए किरायेदार आए हैं, उनकी पत्नी है,
गेहूँ पीसने आई हैं ....
पति - पत्नी बहुत देर तक हंसी मज़ाक और बातें करते रहे ...
1 घंटे बाद पति ने कहा : मैं जरा नुक्कड़ की दुकान से पान खा कर आता हूँ और बाहर निकल गया।
एक घंटे तक गेहूं पीसते-पीसते पसीने से तर बतर मौलाना ने
साड़ी उतार के फेंकी
और
आनन-फानन में वहाँ से सरपट हो लिए।
*15 दिन बाद* -
महिला के बेटे ने मदरसे में मौलाना से कहा : माँ ने आपको सलाम भेजा है" ...
.
.
.
*हरामखोरों, आटा खत्म हो गया होगा*
क्या 20 किलो आटा खा गए,
जो अब फिर से सलाम भेजा है ....
🏃😄😝
#1168 ADMIN
05:30:00 AM 01 Jan, 1970
मैने पूँछा चाँद से कि देखा है कहीं मेरे यार सा हसीन
.
.
चाँद ने कहा, सुन बे ढक्कन, 😡
सबसे पहली बात मैं तेरे बाप का नौकर नहीं हूँ... 😏
दूसरी बात, यहाँ इतने ऊपर से बाल बराबर भी नहीं दिखता... 😏
और तीसरी बात...😁
तुम लोग ये लौंडियाबाजी जमीन तक ही रखो मुझे बीच में घसीटा तो पत्थर फ़ेंक के सर फोड़ दूंगा...
😡😂😂😂😂😂😂
#2256 ADMIN
05:30:00 AM 01 Jan, 1970
Ⓜ kya khoob likha hai kisine
आगे सफर था और पीछे हमसफर था..
रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जाता..
मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी..
ए दिल तू ही बता,उस वक्त मैं कहाँ जाता...
मुद्दत का सफर भी था और बरसो का हमसफर भी था
रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते....
यूँ समँझ लो,
प्यास लगी थी गजब की... मगर पानी मे जहर था...
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते.
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!!
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!
वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!!
सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!!
सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब...।।
आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।।
"हुनर" सड़कों पर तमाशा करता है और "किस्मत" महलों में राज करती है!!
"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता"..
अजीब सौदागर है ये वक़्त भी!!!!
जवानी का लालच दे के बचपन ले गया....
अब अमीरी का लालच दे के जवानी ले जाएगा. ......
लौट आता हूँ वापस घर की तरफ... हर रोज़ थका-हारा,
आज तक समझ नहीं आया की जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ।
बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल -
"बङे हो कर क्या बनना है ?"
जवाब अब मिला है, - "फिर से बच्चा बनना है.
“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे...!!”
दोस्तों से बिछड़ कर यह हकीकत खुली...
बेशक, कमीने थे पर रौनक उन्ही से थी!!
भरी जेब ने ' दुनिया ' की पहेचान करवाई और खाली जेब ने ' अपनो ' की.
जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,
शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,
अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है। ...!!!
हंसने की इच्छा ना हो...
तो भी हसना पड़ता है...
.
कोई जब पूछे कैसे हो...??
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है...
.
ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों....
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है.
"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती...
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!!"
दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट,
ये ढूँढ रहे है की मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं,
पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा
कि जीवन में मंगल है या नहीं।
मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ कि...
पत्थरों को मनाने में ,
फूलों का क़त्ल कर आए हम
गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने ....
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम ।।
अगर दिल को छु जाये तो शेयर जरूर करे..
_▄▄_
(●_●)
╚═►
#3185 ADMIN
12:45:12 PM 01 Dec, 2017
Ⓜ kya khoob likha hai kisine
आगे सफर था और पीछे हमसफर था..
रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जाता..
मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी..
ए दिल तू ही बता,उस वक्त मैं कहाँ जाता...
मुद्दत का सफर भी था और बरसो का हमसफर भी था
रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते....
यूँ समँझ लो, प्यास लगी थी गजब की... मगर पानी मे जहर था...
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते.
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!!
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!
वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!!
सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!!
सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब...।।
आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।
"हुनर" सड़कों पर तमाशा करता है और "किस्मत" महलों में राज करती है!!
"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता"..
अजीब सौदागर है ये वक़्त भी!!!!
जवानी का लालच दे के बचपन ले गया....
अब अमीरी का लालच दे के जवानी ले जाएगा. ......
लौट आता हूँ वापस घर की तरफ... हर रोज़ थका-हारा,
आज तक समझ नहीं आया की जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ।
बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल -
"बङे हो कर क्या बनना है ?"
जवाब अब मिला है, - "फिर से बच्चा बनना है.
“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे...!!”
दोस्तों से बिछड़ कर यह हकीकत खुली...
बेशक, कमीने थे पर रौनक उन्ही से थी!!
भरी जेब ने ' दुनिया ' की पहेचान करवाई और खाली जेब ने ' अपनो ' की.
जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,
शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,
अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है। ...!!!
हंसने की इच्छा ना हो... तो भी हसना पड़ता है...
.
कोई जब पूछे कैसे हो...??
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है...
.
ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों....
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है.
"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती...
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!!"
दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट,
ये ढूँढ रहे है की मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं,
पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा कि जीवन में मंगल है या नहीं।
मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ कि...
पत्थरों को मनाने में , फूलों का क़त्ल कर आए हम
गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने ....
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम ।।
अगर दिल को छु जाये तो शेयर जरूर करे..
_▄▄_
(●_●)
╚═►
#3326 ADMIN
05:30:00 AM 01 Jan, 1970
Teacher : बस ईरादे बुलन्द होने चाहिये, पत्थर से भी पानी निकाला जा सकता है
.
Child : मै तो लोहे से भी पानी निकाल सकता हूं
.
Teacher : कैसे?....
.
child :#हैंड_पम्प से.
दे थप्पड़ दे थप्पड़
😂😂😂
#4425 ADMIN
11:24:54 AM 02 Sep, 2017
टीचर:ईरादे बुलन्द होने चाहिये,पत्थर से भी पानी निकाला जा सकता है 💪
.
...
.
पप्पू: मै तो लोहे से भी पानी निकाल सकता हूं 😛😛😕
.
...
टीचर: कैसे 😱 😱 😱 😱
.
.
.
पप्पू:हैंड पम्प से😷 😂 😷
#11421 TIPU
12:00:00 AM 18 Feb, 2017
Teacher : बस ईरादे बुलन्द होने चाहिये, पत्थर से भी पानी निकाला जा सकता है;)
.
pappu : मै तो लोहे से भी पानी निकाल सकता हूं
.
Teacher : कैसे?
.
.
pappu : हैंड पम्प है😀
#11922 TIPU
12:00:00 AM 18 Feb, 2017
झूठे हैं वो जो कहते हैं कि
हम सब मिट्टी से बने हैं,
मैं कई अपनों से वाक़िफ़ हूँ
जो पत्थर के बने हैं..।।
#12455 TIPU
12:00:00 AM 19 Feb, 2017
*पत्थर* हूँ मैं तो मेरे *दोस्त* शिल्पकार हैं,
मेरी हर *तारीफ़* के वो *जिम्मेदार* हैं