Karan Singh 12:00:00 AM 08 Jul, 2017

"क़ातिल गुनाह करके ज़माने में रह गये,

एक हम थे कि अश्क बहाने में रह गये,

पत्थरों का जवाब तो हम भी दे सकते थे,

लेकिन हम दिल के आईने को बचाने में रह गये।

हर ज़ख़्म किसी ठोकर की मेहरबानी है,

मेरी ज़िन्दगी बस एक कहानी है,

मिटा देते सनम के दर्द को सीने से,

पर यह दर्द ही उसकी आख़री निशानी है।

कहाँ कोई ऐसा मिला जिस पर दिल लुटा देते,

हर एक ने धोखा दिया किस-किस को भुला देते,

हम अपना ग़म दिल में दबाये फिरते हैं,

करते हैं ब्यान तो महफ़िल को रुला देते हैं।

टूट जाते हैं बिखर जाते हैं,

कांच के घर हैं मुक़द्दर अपने,

अजनबी तो सदा प्यार से मिलते हैं,

भोल्ल जाते हैं तो अक्सर अपने।"
- प्यार में दर्द वाली शायरी

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