कौन कहेगा उसे, के नाचीज़ है वो,
टूटे हुए दिलों का ताबीज़ है वो
है सैलाब-ए-जवानी या दरिया की तरह
वो खुद ही ना जाने, क्या चीज़ है वो !!!
कौन कहेगा उसे, के नाचीज़ है वो,
टूटे हुए दिलों का ताबीज़ है वो
है सैलाब-ए-जवानी या दरिया की तरह
वो खुद ही ना जाने, क्या चीज़ है वो !!!