रूक गया "ऑखो" से बहता हुआ दरिया कैसे
गम का तुफा तो बहुत "तेज" था ठहरा कैसे
हर घडी तेरे "खयालो" में घिरा रहता हूं
मिलना चाहूं तो मिलू खुद से मैं "तनहा" कैसे ।।
रूक गया "ऑखो" से बहता हुआ दरिया कैसे
गम का तुफा तो बहुत "तेज" था ठहरा कैसे
हर घडी तेरे "खयालो" में घिरा रहता हूं
मिलना चाहूं तो मिलू खुद से मैं "तनहा" कैसे ।।