तन्हाई के आलम में आजकल,
नींद नहीं आती है
जहाँ से दूर भागता हूँ,
यादें फिर वहीं ले जाती हैं
आने वाला कल हर घड़ी,
पास अपने बुलाता है
सपनों के सुकून भरे,
साये में मुझको सुलाता है
खुली रहती हैं पलकें हरपल,
बस इसी इन्तजार में
नींद नहीं इन्हें आए कभी,
ये डूब जाए तेरे प्यार में
ख़्वाब इस कदर आते हैं,
रह रहकर मुझे जगाते है
पलकों पर रखकर नींद,
फिर खुद को आज़माते है
तन्हाई के आलम में आजकल,
रातें नहीं कटती है
जहाँ से दूर भागता हूँ,
यादें उसी ओर ले चलती हैं।
