Afsar 12:00:00 AM 13 Jun, 2017

आँखों से मेरे इस लिए लाली नहीं जाती;
यादों से कोई रात खा़ली नहीं जाती;

अब उम्र, ना मौसम, ना रास्‍ते के वो पत्‍ते;
इस दिल की मगर ख़ाम ख्‍़याली नहीं जाती;

माँगे तू अगर जान भी तो हँस कर तुझे दे दूँ;
तेरी तो कोई बात भी टाली नहीं जाती;

मालूम हमें भी हैं बहुत से तेरे क़िस्से;
पर बात तेरी हमसे उछाली नहीं जाती;

हमराह तेरे फूल खिलाती थी जो दिल में;
अब शाम वहीं दर्द से ख़ाली नहीं जाती;

हम जान से जाएंगे तभी बात बनेगी;
तुमसे तो कोई बात निकाली नहीं जाती।

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