Rakesh 12:00:00 AM 13 Jun, 2017

आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी कुछ क़र्ज़ चुकाने बाकी हैं,
कुछ के दर्द मिटाने बाकी हैं कुछ फ़र्ज़ निभाने बाकी हैं।

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