चोट लगी तो अपने अन्दर
चुपके चुपके रो लेते हो,
अच्छी बात है
आसानी से ज़ख्मों को तुम धो लेते हो;
दिन भर कोशश करते हो
सब को ग़म का दरमाँ मिल जाये,
नींद की गोली खाकर
शब भर बेफ़िक्री में सो लेते हो;
अपनों से मोहतात रहो,
सब नाहक़ मुश्रिक समझेंगे,
ज्यों ही अच्छी मूरत देखी
पीछे पीछे हो लेते हो;
ख़ुश-एख्लाक़ी ठीक है
लेकिन सेहत पे ध्यान ज़रूरी है,
बैठे बैठे सब के दुख में
अपनी जान भिगो लेते हो;
'अंसारी जी' आस न रक्खो
कोई तुम्हें पढ़ पायेगा,
क्या यह कम है पलकों में
तुम हर्फ़-ए-अश्क पिरो लेते हो।
