Afsar 12:00:00 AM 13 Jun, 2017

हवा में फिरते हो क्या हिर्स और हवा के लिए;
ग़ुरूर छोड़ दो ऐ ग़ाफ़िलो ख़ुदा के लिए;

गिरा दिया है हमें किस ने चाह-ए-उल्फ़त में;
हम आप डूबे किसी अपने आशना के लिए;

जहाँ में चाहिए ऐवान ओ क़स्र शाहों को;
ये एक गुम्बद-ए-गर्दूं है बस गदा के लिए;

वो आईना है के जिस को है हाजत-ए-सीमाब;
इक इज़्तिराब है काफ़ी दिल-ए-सफ़ा के लिए;

तपिश से दिल का हो क्या जाने सीने में क्या हाल;
जो तेरे तीर का रोज़न न हो हवा के लिए;

जो हाथ आए 'ज़फ़र' ख़ाक-पा-ए-फ़ख़रूद्दीन;
तो मैं रखूँ उसे आँखों के तूतया के लिए।

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