Afsar 12:00:00 AM 13 Jun, 2017

पहले सौ बार इधर और उधर देखा है;
तब कहीं डर के तुम्हें एक नज़र देखा है;

हम पे हँसती है जो दुनियाँ उसे देखा ही नहीं;
हम ने उस शोख को अए दीदा-ए-तर देखा है;

आज इस एक नज़र पर मुझे मर जाने दो;
उस ने लोगों बड़ी मुश्किल से इधर देखा है;

क्या ग़लत है जो मैं दीवाना हुआ, सच कहना;
मेरे महबूब को तुम ने भी अगर देखा है।

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