Rakesh 12:00:00 AM 14 Jun, 2017

तू महक बन कर मुझ से गुलाबों में मिला कर;

जिसे छू कर मैं महसूस कर सकूँ;
तू मस्ती की तरह मुझ से शराबों में मिला कर;

मैं भी इंसान हूँ, डर मुझ को भी है बहक जाने का;
इस वास्ते तू मुझ से हिजाबों में मिला कर।

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