Rakesh 12:00:00 AM 14 Jun, 2017

मै यह नहीं कहता कि मेरा सर न मिलेगा;
लेकिन मेरी आँखों में तुझे डर न मिलेगा;

सर पर तो बिठाने को है तैयार जमाना;
लेकिन तेरे रहने को यहाँ घर न मिलेगा;

जाती है, चली जाये, ये मैखाने कि रौनक;
कमज़र्फो के हाथो में तो सागर न मिलेगा;

दुनिया की तलब है, कनाअत ही न करना
कतरे ही से खुश हो, तो समन्दर न मिलेगा।

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