Rakesh 12:00:00 AM 14 Jun, 2017

तुमने तो कह दिया कि मोहब्बत नहीं मिली;
मुझको तो ये भी कहने की मोहलत नहीं मिली;

नींदों के देस जाते, कोई ख्वाब देखते;
लेकिन दिया जलाने से फुरसत नहीं मिली;

तुझको तो खैर शहर के लोगों का खौफ था;
और मुझको अपने घर से इजाज़त नहीं मिली;

फिर इख्तिलाफ-ए-राय की सूरत निकल पडी;
अपनी यहाँ किसी से भी आदत नहीं मिली;

बे-जार यूं हुए कि तेरे अहद में हमें;
सब कुछ मिला, सुकून की दौलत नहीं मिली।

Related to this Post: