न आते हमें इसमें तकरार क्या थी;
मगर वादा करते हुए आर क्या थी;
तुम्हारे पयामी ने ख़ुद राज़ खोला;
ख़ता इसमें बन्दे की सरकार क्या थी;
भरी बज़्म में अपने आशिक़ को ताड़ा;
तेरी आँख मस्ती में होशियार क्या थी;
तअम्मुल तो था उनको आने में क़ासिद;
मगर ये बता तर्ज़े-इन्कार क्या थी;
खिंचे ख़ुद-ब-ख़ुद जानिबे-तूर मूसा;
कशिश तेरी ऐ शौक़े-दीदाए क्या थी;
कहीं ज़िक्र रहता है 'इक़बाल' तेरा;
फ़ुसूँ था कोई तेरी गुफ़्तार क्या थी।
