Aman 12:00:00 AM 15 Feb, 2017

चली जाती है आये दिन वो बियुटी पार्लोर में यूं

उनका मकसद है,""मिशाल-ए-हूर"" हो जाना;

मगर ये बात किसी भी बेगम की समझ में क्यों नहीं आती;

कि मुमकिन नहीं "किशमिश" का फिर से "अंगूर" हो जाना.

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