arman 12:00:00 AM 15 Jul, 2017

बुझते हुए अरमानों का इतना ही फ़साना है;
इश्क़ में तेरे हर पल हम को रहना है;

चाहे सितमगर कितने भी ज़ख़्म दे हमें;
इश्क़ में हर ज़ख्म हमें हँसते हुए सहना है।

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