Rakesh 12:00:00 AM 15 Jul, 2017

कभी मुझ को साथ लेकर,
कभी मेरे साथ चल के;

वो बदल गए अचानक,
मेरी ज़िन्दगी बदल के;

हुए जिस पे मेहरबाँ,
तुम कोई ख़ुशनसीब होगा;

मेरी हसरतें तो निकलीं,
मेरे आँसूओं में ढल के;

तेरी ज़ुल्फ़-ओ-रुख़ के,
क़ुर्बाँ दिल-ए-ज़ार ढूँढता है;

वही चम्पई उजाले,
वही सुरमई धुंधल के;

कोई फूल बन गया है,
कोई चाँद कोई तारा;

जो चिराग़ बुझ गए हैं,
तेरी अंजुमन में जल के;

मेरे दोस्तो ख़ुदारा,
मेरे साथ तुम भी ढूँढो;

वो यहीं कहीं छुपे हैं,
मेरे ग़म का रुख़ बदल के;

तेरी बेझिझक हँसी से,
न किसी का दिल हो मैला;

ये नगर है आईनों का,
यहाँ साँस ले संभल के।

Related to this Post: