arman 12:00:00 AM 15 Jul, 2017

उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो;
जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो;

इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है;
इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो।

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