arman 12:00:00 AM 15 Jul, 2017

दिल को जब अपने गुनाहों का ख़याल आ जायेगा;
साफ़ और शफ्फ़ाफ़ आईने में बाल आ जायेगा;

भूल जायेंगी ये सारी क़हक़हों की आदतें;
तेरी खुशहाली के सर पर जब ज़वाल आ जायेगा;

मुसतक़िल सुनते रहे गर दास्ताने कोह कन;
बे हुनर हाथों में भी एक दिन कमाल आ जायेगा;

ठोकरों पर ठोकरे बन जायेंगी दरसे हयात;
एक दिन दीवाने में भी ऐतेदाल आ जायेगा;

बहरे हाजत जो बढ़े हैं वो सिमट जायेंगे ख़ुद;
जब भी उन हाथों से देने का सवाल आ जायेगा।

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