दिल को जब अपने गुनाहों का ख़याल आ जायेगा;
साफ़ और शफ्फ़ाफ़ आईने में बाल आ जायेगा;
भूल जायेंगी ये सारी क़हक़हों की आदतें;
तेरी खुशहाली के सर पर जब ज़वाल आ जायेगा;
मुसतक़िल सुनते रहे गर दास्ताने कोह कन;
बे हुनर हाथों में भी एक दिन कमाल आ जायेगा;
ठोकरों पर ठोकरे बन जायेंगी दरसे हयात;
एक दिन दीवाने में भी ऐतेदाल आ जायेगा;
बहरे हाजत जो बढ़े हैं वो सिमट जायेंगे ख़ुद;
जब भी उन हाथों से देने का सवाल आ जायेगा।
