ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो;
नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें;
अब न वो मैं हूं न तू है न वो माज़ी है 'फ़राज़'
जैसे दो साये तमन्ना के सराबों में मिलें।
ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो;
नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें;
अब न वो मैं हूं न तू है न वो माज़ी है 'फ़राज़'
जैसे दो साये तमन्ना के सराबों में मिलें।