Afsar 12:00:00 AM 15 Jun, 2017

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो;
नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें;

अब न वो मैं हूं न तू है न वो माज़ी है 'फ़राज़'
जैसे दो साये तमन्‍ना के सराबों में मिलें।

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