Rakesh 12:00:00 AM 15 Jun, 2017

जो ख्याल थे, न कयास थे,
वो ही लोग मुझसे बिछड़ गए;

जो मोहब्बतों की आस थे,
वो ही लोग मुझसे बिछड़ गए;

जिन्हें मानता नहीं ये दिल,
वो ही लोग मेरे हैं हमसफ़र;

मुझे हर तरह से जो रास थे,
वो ही लोग मुझसे बिछड़ गए;

मुझे लम्हा भर की रफ़ाक़तों
के सराब बहुत सतायेंगे;

मेरी उम्र भर की प्यास थे,
वो ही लोग मुझसे बिछड़ गए;

ये जो जाल सारे है आरजी,
ये गुलाब सारे है कागजी;

गुल-ए-आरजू की जो बास थे,
वो ही लोग मुझसे बिछड़ गए;

मेरी धडकनों के करीब थे,
मेरी चाह थे, मेरा ख्वाब थे;

वो जो रोज़-ओ-शब मेरे पास थे,
वो ही लोग मुझसे बिछड़ गए।

Related to this Post: