अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे;
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे;
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे;
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे;
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे;
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे;
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
