Rakesh 12:00:00 AM 15 Jun, 2017

अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे;
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नज़र आयें कैसे;

घर सजाने का तस्सवुर तो बहुत बाद का है;
पहले ये तय हो कि इस घर को बचायें कैसे;

क़हक़हा आँख का बर्ताव बदल देता है;
हँसने वाले तुझे आँसू नज़र आयें कैसे;

कोई अपनी ही नज़र से तो हमें देखेगा;
एक क़तरे को समंदर नज़र आयें कैसे।

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