Rakesh 12:00:00 AM 15 Jun, 2017

सारी बस्ती में ये जादू
नज़र आए मुझको;

जो दरीचा भी खुले तू
नज़र आए मुझको;

सदियों का रस जगा
मेरी रातों में आ गया;

मैं एक हसीन शक्स
की बातों में आ गया;

जब तस्सवुर मेरा चुपके
से तुझे छू आए;

देर तक अपने बदन से
तेरी खुशबू आए;

गुस्ताख हवाओं की
शिकायत न किया कर;

उड़ जाए दुपट्टा तो
खनक ओढ़ लिया कर;

तुम पूछो और मैं न बताऊँ
ऐसे तो हालात नहीं;

एक ज़रा सा दिल टूटा है
और तो कोई बात नहीं;

रात के सन्नाटे में हमने क्या-
क्या धोखे खाए हैं;

अपना ही जब दिल धड़का
तो हम समझे वो आए हैं।

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