सारी बस्ती में ये जादू
नज़र आए मुझको;
जो दरीचा भी खुले तू
नज़र आए मुझको;
सदियों का रस जगा
मेरी रातों में आ गया;
मैं एक हसीन शक्स
की बातों में आ गया;
जब तस्सवुर मेरा चुपके
से तुझे छू आए;
देर तक अपने बदन से
तेरी खुशबू आए;
गुस्ताख हवाओं की
शिकायत न किया कर;
उड़ जाए दुपट्टा तो
खनक ओढ़ लिया कर;
तुम पूछो और मैं न बताऊँ
ऐसे तो हालात नहीं;
एक ज़रा सा दिल टूटा है
और तो कोई बात नहीं;
रात के सन्नाटे में हमने क्या-
क्या धोखे खाए हैं;
अपना ही जब दिल धड़का
तो हम समझे वो आए हैं।
