मिलने को तो ज़िंदगी में कईं हमसफ़र मिले;
पर उनकी तबियत से अपनी तबियत नही मिली;
चेहरों में दूसरों के तुझे ढूंढते रहे दर-ब-दर;
सूरत नही मिली, तो कहीं सीरत नही मिली;
बहुत देर से आया था वो मेरे पास यारों;
अल्फाज ढूंढने की भी मोहलत नही मिली;
तुझे गिला था कि तवज्जो न मिली तुझे;
मगर हमको तो खुद अपनी मुहब्बत नही मिली;
हमे तो तेरी हर आदत अच्छी लगी "फ़राज़";
पर अफ़सोस तेरी आदत से मेरी आदत नही मिली।
