arman 12:00:00 AM 16 Jul, 2017

मिलने को तो ज़िंदगी में कईं हमसफ़र मिले;
पर उनकी तबियत से अपनी तबियत नही मिली;​​

चेहरों में दूसरों के तुझे ढूंढते रहे दर-ब-दर;
सूरत नही मिली, तो कहीं सीरत नही मिली;​​
​​
​बहुत देर से आया था वो मेरे पास यारों​​;​​
​अल्फाज ढूंढने की भी मोहलत नही मिली​​;​​
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तुझे गिला था कि तवज्जो न मिली तुझे;​​
​ मगर हमको तो खुद अपनी मुहब्बत नही मिली​​;​​

​हमे तो तेरी हर आदत अच्छी लगी "फ़राज़"​​;
पर अफ़सोस तेरी आदत से मेरी आदत नही मिली​।

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