Afsar 12:00:00 AM 16 Jul, 2017

वो कभी मिल जाएँ तो क्या कीजिए;
रात दिन सूरत को देखा कीजिए;

चाँदनी रातों में एक एक फूल को;
बे-ख़ुदी कहती है सजदा कीजिए;

जो तमन्ना बर न आए उम्र भर;
उम्र भर उस की तमन्ना कीजिए;

इश्क़ की रंगीनियों में डूब कर;
चाँदनी रातों में रोया कीजिए;

हम ही उस के इश्क़ के क़ाबिल न थे;
क्यों किसी ज़ालिम का शिकवा कीजिए;

कहते हैं 'अख़्तर' वो सुन कर मेरे शेर;
इस तरह हम को न रुसवा कीजिए।

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