arman 12:00:00 AM 16 Jul, 2017

अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​;​
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे​;​

ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे​;​
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।

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