arman 12:00:00 AM 16 Jul, 2017


​मुझसे बिछड़ के ख़ुश रहते हो​;
​मेरी तरह तुम भी झूठे हो​​;
​​
​​इक टहनी पर चाँद टिका था​​;
​मैं ये समझा तुम बैठे हो​​;
​​
​​उजले-उजले फूल खिले थे​​;
​बिल्कुल जैसे तुम हँसते हो​​;
​​
​​मुझ को शाम बता देती है​​;
​तुम कैसे कपड़े पहने हो​​;
​​
​​तुम तन्हा दुनिया से लड़ोगे;
​बच्चों सी बातें करते हो​।

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