दम लबों पर था, दिलेज़ार के घबराने से;
आ गई है जाँ में जाँ, आपके आ जाने से;
तेरा कूचा न छूटेगा, तेरे दीवाने से;
उस को काबे से न मतलब है, न बुतख़ाने से;
शेख़ नाफ़ह्म हैं, करते जो नहीं, क़द्र उसकी;
दिल फ़रिश्तों के मिले हैं, तेरे दीवानों से;
मैं जो कहता हूँ, कि मरता हूँ, तो फ़रमाते हैं;
कारे-दुनिया न रुकेगा, तेरे मर जाने से।
