arman 12:00:00 AM 16 Jul, 2017

​दम लबों पर था​, दिलेज़ार के घबराने से​;​
आ गई है जाँ में जाँ​, आपके आ जाने से;​

​​तेरा कूचा न छूटेगा​, तेरे दीवाने से​;
उस को काबे से न मतलब है​, न बुतख़ाने से​;

​ शेख़ नाफ़ह्म हैं​, करते जो नहीं​, क़द्र उसकी​;
दिल फ़रिश्तों के मिले हैं​, तेरे दीवानों से​;

​मैं जो कहता हूँ​, कि मरता हूँ​, तो फ़रमाते हैं​;
​कारे-दुनिया न रुकेगा​, तेरे मर जाने से​।

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