Afsar 12:00:00 AM 16 Jun, 2017

​​ ​​ राहे-दूरे-इश्क़ से रोता है क्या​;​​
​​ आगे-आगे देखिए होता है क्या​​;

​​​​ सब्ज़ होती ही नहीं ये सरज़मीं​;​
​​​ तुख़्मे-ख़्वाहिश दिल में तू बोता है क्या​​;

​​​​ क़ाफ़िले में सुबह के इक शोर है​;​​
​​ यानी ग़ाफ़िल हम चले सोता है क्या​​;

​​​​ ग़ैरते-युसुफ़ है ये वक़्ते-अज़ीज़​;​
​​​ मीर इसको रायगाँ खोता है क्या​।

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