Rakesh 12:00:00 AM 16 Jun, 2017

इस शहर की भीड़ में चेहरे सारे अजनबी;
रहनुमा है हर कोई, पर रास्ता कोई नहीं;

अपनी-अपनी किस्मतों के सभी मारे यहाँ;
एक-दूजे से किसी का वास्ता कोई नहीं;

बस चला जाता यूँ ही ज़िन्दगी का कारवाँ;
यादों के टुकड़े हैं बस, दास्ताँ कोई नहीं।

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