इस शहर की भीड़ में चेहरे सारे अजनबी;
रहनुमा है हर कोई, पर रास्ता कोई नहीं;
अपनी-अपनी किस्मतों के सभी मारे यहाँ;
एक-दूजे से किसी का वास्ता कोई नहीं;
बस चला जाता यूँ ही ज़िन्दगी का कारवाँ;
यादों के टुकड़े हैं बस, दास्ताँ कोई नहीं।
इस शहर की भीड़ में चेहरे सारे अजनबी;
रहनुमा है हर कोई, पर रास्ता कोई नहीं;
अपनी-अपनी किस्मतों के सभी मारे यहाँ;
एक-दूजे से किसी का वास्ता कोई नहीं;
बस चला जाता यूँ ही ज़िन्दगी का कारवाँ;
यादों के टुकड़े हैं बस, दास्ताँ कोई नहीं।
