रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम;
देखा हुआ है आतिश-ए-गुल से चमन तमाम;
हैरत गुरुर-ए-हुस्न से शोखी से इज़तराब;
दिल ने भी तेरे सीख लिए हैं चलन तमाम;
अल्लाह रे हुस्न-ए-यार की खूबी के खुद-ब-खुद;
रंगीनियों में डूब गया पैरहान तमाम;
देख तो हुस्न-ए-यार की जादुई निगाहें;
बेहोश एक नज़र में हुई अंजूमन तमाम।
