Afsar 12:00:00 AM 17 Jul, 2017

या मुझे अफ़्सर-ए-शाहा न बनाया होता;
या मेरा ताज गदाया न बनाया होता;

ख़ाकसारी के लिये गरचे बनाया था मुझे;
काश ख़ाक-ए-दर-ए-जानाँ न बनाया होता;

नशा-ए-इश्क़ का गर ज़र्फ़ दिया था मुझको;
उम्र का तंग न पैमाना बनाया होता;

अपना दीवाना बनाया मुझे होता तूने;
क्यों ख़िरदमन्द बनाया न बनाया होता;

शोला-ए-हुस्न चमन में न दिखाया उसने;
वरना बुलबुल को भी परवाना बनाया होता।

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