Afsar 12:00:00 AM 17 Jul, 2017

मैं आप लोगों की दी हुई;
मुहब्बत पर इठलाता हूँ;

इतने दिलों में रहता हूँ कि;
घर का पता भूल जाता हूँ;

नहीं हुनर किसी में मेरे जैसा;
लोगों को उंगलियो पर नाचता हूँ;

कुछ लोग मुझे फरिश्ता कहते है;
नफरत के स्कूलों में मुहब्बत पढता हूँ;

खुशियों के बाज़ार में दूकान सजी है;
आवाज लगा कर सौदागरों को बुलाता हूँ;

नहीं यकीं तो तु मुझसे मिलकर देख;
मैं तुझे कैसे अपना बनता हूँ।

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