Afsar 12:00:00 AM 17 Jul, 2017

वो तो ख़ुश्बू है हवाओं में बिखर जायेगा;
मसला फूल का है फूल किधर जायेगा;

हम तो समझे थे के एक ज़ख़्म है भर जायेगा;
क्या ख़बर थी के रग-ए-जाँ में उतर जायेगा;

वो हवाओं की तरह ख़ानाबजाँ फिरता है;
एक झोंका है जो आयेगा गुज़र जायेगा;

वो जब आयेगा तो फिर उसकी रफ़ाक़त के लिये;
मौसम-ए-गुल मेरे आँगन में ठहर जायेगा;

आख़िरश वो भी कहीं रेत पे बैठी होगी;
तेरा ये प्यार भी दरिया है उतर जायेगा।

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