जब से कुछ दोस्त, अमीर हो गये;
नज़रों में उनकी, हम गरीब हो गये;
गुजरी है जिनकी, सलाखों के पीछे;
सियासत के दम पे, शरीफ हो गये।
जब से कुछ दोस्त, अमीर हो गये;
नज़रों में उनकी, हम गरीब हो गये;
गुजरी है जिनकी, सलाखों के पीछे;
सियासत के दम पे, शरीफ हो गये।
