Rakesh 12:00:00 AM 17 Jun, 2017

उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है;
जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है;

दिल टूटकर बिखरता है इस कदर;
जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है!

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