Afsar 12:00:00 AM 17 Jun, 2017

दर्द अपना हो या पराया;
सबमें बसा है तेरा साया;

खुशियों का घर कहीं न देखा;
मंदिर-मस्जिद तक हो आया;

जबसे रूह की आहट पाई;
हर कोई लगने लगा पराया;

अब तक थे हम ठहरे पानी;
तुमने हमको दरिया बनाया।

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