रेतों पे हर कदम निशान बन गए
ये जख़्म तेरे सितम की पहचान बन गए
आँसू पिलाके रूह को जिंदा तो कर लिया
अब प्यास है इतनी कि बेजान बन गए
अब तक तो मुझे तेरा सुराग न मिला
तुझे खोजने में खुद से ही अंजान बन गए
लंबी उमर थी लेकिन तेरे ही इश्क में
दुनिया में दो घड़ी के मेहमान बन गए🌹🌹
