: सर्द रातों की तन्हाई में..
दिल अपना कुछ यूँ बहलातें हैं,
कुछ उनका लिखा दोहरातें हैं,
कुछ अपना लिखा मिटाते हैं ...
: सर्द रातों की तन्हाई में..
दिल अपना कुछ यूँ बहलातें हैं,
कुछ उनका लिखा दोहरातें हैं,
कुछ अपना लिखा मिटाते हैं ...