➨रोज़ लफ़्ज़ों को तोड़ लाता हूँ
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फिर पिरो कर ग़ज़ल बनाता हूँ
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जब कभी उसको भूल जाता हूँ
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याद करता हूँ तिल-मिलाता हू
➨रोज़ लफ़्ज़ों को तोड़ लाता हूँ
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फिर पिरो कर ग़ज़ल बनाता हूँ
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जब कभी उसको भूल जाता हूँ
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याद करता हूँ तिल-मिलाता हू